मन्नू की वह एक रात - 3

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मुझे तुमसे बहुत शिकायत है मुन्नी वह मुझे मुन्नी ही कहती थीं। अचानक कही गई उनकी इस बात से मैं एकदम हक्का-बक्का हो गई, मैंने डर से थर-थराते हुए धीरे से कहा, ’अनजाने में कोई गलती हुई हो तो माफ कर दीजिए अम्मा जी।’ अब जाने में कुछ हो या अनजाने में यह तो तुम्हीं जानो। मैं तो नौ महीने में ही पोते को खिलाना चाहती थी। तुम से जाते समय कहा भी था मगर साल बीत गए पोता कौन कहे कान खुशखबरी भी सुनने को तरस गए। माना कि तुम लोग नए जमाने के हो। फैशन के दिवाने हो। मगर लड़का-बच्चा समय से हो जाएं तो ही अच्छा है।