दस दरवाज़े - 8

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ऐनिया के साथ मेरी निकटता दिन-ब-दिन बढ़ने लगती है। हम बहुत-सी रातें एक साथ ही गुज़ारते हैं। वह आकर मेरे घर की सफाई कर जाती है। मेरे कपड़े धोकर प्रैस करके अल्मारी में टांग जाती है। मुझे उसका सरूर-सा रहने लगता है जिसे मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया। जगीरो के साथ पाँच साल रहने से जो पत्नी-सुख मुझे मिला है, अब कुछ कुछ ऐनिया में से मिलने लगता है। हाँ, इस सुख का रूप कुछ भिन्न है। इस रिश्ते में न कोई मेरा-तेरा है, न ही कोई दावा है, फिर भी बहुत कुछ है।