कोरा कागज़

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ये ज़िन्दगी है साहब , इम्तहान तो लेती ही है। और ना सिर्फ़ इंसानो का इम्तहान लेती है, बल्कि संसार में जितना भी कुछ है सब ही का इम्तहान लेती है।यहाँ इस संसार कोई किसी का हो या ना हो, पर कोरे कागज़ का इंसान से बहुत गहरा लगाव होता है। जैसा एक बाप का अपने बेटे से होता है। जिस तरह एक बाप अपने बेटे की खुशी के लिए कोई भी बलिदान देने को हमेशा तैयार रहता है। उसी तरह एक कोरा कागज़ भी इंसान का हर तरह से साथ देता है। वो किसी का मन लगाता है, तो