अदृश्य हमसफ़र - 17

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ममता को अब भरी महफ़िल में भी तन्हाई का अहसास हो रहा था। मन उचाट हो चला था कि कैसी पहेली है यह। ब्याह में नही बुलाया था यह तो सुलझी भी नही थी कि एक और नई खड़ी हो गयी थी। क्या कारण हो सकता है कि देविका से किसी ने भी उसका परिचय नही कराया जबकि कितनी बार सभी से उसने पूछा भी था । उलझनें एक के बाद बढ़ती जा रही थी। सुलझाने के लिए सिर्फ एक ही सिरा नजर आ रहा था, अनु दा।