“आप के मुँह से बू क्यों आ रही है”
“कैसी बू?”
“जैसी पहले आया करती थी मुझे बनाने की कोशिश न कीजिए”
“लाहौल वला, तुम बनी बनाई हो, तुम्हें कौन बना सकता है”
“आप बात टाल क्यों रहे हैं?”
“मैंने तो आज तक तुम्हारी कोई बात नहीं टाली”
“लते बदन पर झूलने का ज़माना आगया है लेकिन आप को कुछ फ़िक्र ही नहीं”