देशी दारू की भठ्ठी - 2

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अब बाबू की पत्नी चूपचाप दबे पांव घर की ओर हड़बड़ी में वापस लौट गई, क्योंकि बाबू खाट में बिमार पड़ा था । जो अब जोर जोर से खांस रहा था, तभी उसकी जोरू मटकी पास जाकर कहती है " एक लोटा पानी भर लाउं क्या.. ये सूखी खांस तुरन्त बंध हो जाएगी । "" सीमा... रहने दो..! अब इस शरीर से तंग आ गया हूँ... बस ईश्वर से मेरी यही प्रार्थना है की मुझे इस अत्यंत कष्टदायक पीडा़ से संपूर्ण मुक्ति शीघ्र दिला दे । "ऐसी अशुभ बात सूनकर सीमा के मन को अधिक ठेस पहुंची तो उसने सांत्वना