रिटायरमेंट के बाद से सतीश घर पर ही ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत कर रहे थे। खाना,सोना, पेपर पढ़ना ,टीवी देखना और बिस्तर पर पड़े रहना यही उनकी दिनचर्या हो गई थी। सना उनकी इस दिनचर्या से अब उबने लगी थी। या यूं कहें कि बोर हो रही थी ।बच्चे पढ़ कर शादी कर बाहर चले गए थे। पति रिटायरमेंट के बाद से कमरे के ही होकर रह गए। सना जो भी कहती सतीश हर बार उसकी कल परसों कह कर टाल दिया करते फिर अपनी दिनचर्या में खो जाते। सारा काम खत्म कर सो जाती या फिर अपने पेड़ों