तौफ़ीक़ जब शाम को कलब में आया तो परेशान सा था। दोबार हारने के बाद उस ने जमील से कहा। “लो भई मैं चला।” जमील ने तौफ़ीक़ के गोरे चिट्टे चेहरे की तरफ़ ग़ौर से देखा और कहा। “इतनी जल्दी?”