भाग -6 से आगे- मैंने शैलेन्द्र की उत्सुकता को देखते हुए ये तो समझ ही लिया कि शैलेन्द्र बिना पूरी कहानी जाने मानेगा नहीं और वैसे भी अपनी बहन के बारे में जानने का हक़ है उसे पर मैं सिर्फ कुछ समय के लिए ये सब टालना चाहता था। हमारे पास उस समय एक सवाल और भी था कि शैलेन्द्र आखिर वापिस कैसे आया। अगर एक बार ये पता चल जाये तो फिर पूरी कहानी को एक सूत्र में पिरो कर समझ और समझाया जा सकता है। मैंने शैलेन्द्र को दो पल रुकने को कहा और सुलोचना को बुलाया। सुलोचना