ईश्वर तू महान है

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गाँव की कच्ची सड़क। तेज धूप। दोपहर का समय। तन को झुलसाती गर्म लू। दूर दूर तक किसी छायादार पेड़ का नामोनिशान नही। सड़क के दोनो तरफ कुछ हरी कुछ सूखी झाड़िया थी, जो मार्ग में हरे पीलेपन का आभास दे रही थी। कभी कभी हवा एकदम बन्द हो जाती। सूर्य की प्रखर किरणे पत्थरो पर पड़कर जल के समान चमक रही थी। दूर दूर तक कोई मनुष्य तो दूर पशु-पक्षी तक नजर नही आ रहे थे। एकान्त नीरवता किसी भी मनुष्य को भयभीत कर सकती थी। ऐसा वातावरण किसी भी मनुष्य को प्रसन्न नही कर सकता था।परन्तु इस वातावरण