सोलमेट्स

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भागती-दौड़ती कॉलेज के लिए तैयार होती संजना की एक नजर घड़ी पर लगातार बनी हुई थी, अगर बस छूट गई तो दिन बर्बाद! “ प्रोफेसर भार्गव एक नम्बर के खडूस! किसी से नोट्स भी कॉपी नहीं करने देंगे। ” जल्दी-जल्दी जूतियों में पैर डालती संजना की बड़बड़ाहट रुक ही नहीं रही थी। झटपट बाल समेट कर रबरबैंड लगाती, बैग लिए दरवाजे से निकलते हुए माँ को पुकारा, “माँ मैं जा रही हूँ, आने में लेट हो जाऊँगी, चिंता मत करना, बाय” माँ के उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना ही तेज़ी से बाहर निकल आई।