अदृश्य हमसफ़र - 5

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ममता उठी और अनु दा को ढूंढने लगी। ढूंढते ढूंढते छत पर जा पहुंची। अनु दा वहीं आराम कुर्सी पर टेक लगाए तारों को एकटक देखे जा रहे थे। ममता- अनु दा, आप यहाँ अकेले क्यों बैठे हैं? अनु दा- बस यूं ही, अनुष्का की बिदाई देख नही पाता तो ऊपर आ गया। ममता- और ये एकटक तारों को क्यों घूरते जा रहे हैं? अनु दा- अपनी जगह तलाश रहा हूँ, बस कुछ दिन बाद मुझे भी तो इन्ही के संग रहना है। ममता बुरी तरह से तड़प उठी। मनोहर जी के जाने के बाद से उससे इस तरह की बातें सहन नही होती थी ।