अधूरा प्रायश्चित

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“ सर, इमरजेंसी है, जली हुई औरत है, एट्टी परसेंट जली हुई है.” जूनियर डॉक्टर ने चैम्बर में झांक कर थोड़े हडबडाए स्वर में बताया तो मैंने झटपट लैपटॉप बंद किया और अपना गाउन और मास्क उठा उसके साथ हो लिया. तब मुझे अहसास भी ना था कि जिंदगी मेरे सामने कौन सा रंग लाने वाली है. आई.सी.यू. के ओ.टी. में जाते समय मैं सिर्फ एक चिकित्सक था, उस समय मेरी ड्यूटी का समय था और उस दौरान आने वाले हर गम्भी मरीज़ को देखना मेरा फर्ज.