ज़मींदार, अख़बार में जब डाक्टर राथर पर रहमत-ए-ख़ुदा-वंदी के फूल बरसते थे तो यार दोस्तों ने ग़ुलाम रसूल का नाम डाक्टर राथर रख दिया। मालूम नहीं क्यूँ, इस लिए कि ग़ुलाम रसूल को डाक्टर राथर से कोई निसबत नहीं थी। इस में कोई शक नहीं कि वो एम-बी-बी-एस में तीन बार फ़ेल हो चुका था। मगर कहाँ डाक्टर राथर, कहाँ ग़ुलाम रसूल।