भाभी माँ

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“क्या बना रही है रूपा” बगल वाली चाची की आवाज़ सुन कर रुपाली ने सिर उठा कर ऊपर देखा और मुस्कराहट बिखेरते हुए कहा. “आइये चाची जी ..बस धूप में बैठी थी तो सोचा कुछ काम ही कर लूँ. आप बैठिए मै माँ को बुलाती हूँ.” “नही बेटा तू अपना काम कर मै भीतर जाकर मिल लेती हूँ.” चाची प्यार से रूपा के सर पर हाथ फेर कर अंदर चली गई. सामने से रूपा की माँ आती दिखी. पड़ोसन से रहा न गया खुश होते हुए बोली,