संवेदनाओं के स्वरः एक दृष्टि (10) बदलते समीकरण मधु मक्खियों को छेड़ना किसी समय मौत को दावत देना कहा जाता था, और शहद पाने के लिये तो उन्हें आग की लपटों में भी झुलसाया जाता था । किन्तु अब तो शहद के लिये लोग मधुमक्खियों को भी पालने लगे हैं, और उसे भी एक विकसित उद्योग की तरह मानने लगे हैं । लगता है, बदलते परिवेश में दोंनो चालाकी और समझदारी से काम ले रहे हैं और आपस में समझोतों की नई -नई पृष्ठभूमियाँ तलाश रहे हैं । *** राजघाट में उदास हिन्दी राजघाट में उदास हिन्दी- गांधी समाधि के