वैश्या वृतांत - 8

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छेड़छाड: एक प्रति -शोध प्रलाप  यशवन्त कोठारी आज मैं छेड़छाड़ का जिक्र करूंगा। छेड़छाड़ हमारी सांस्कृतिक विरासत है, जिसे बेटा बिना बाप के बताए भी सीख और समझ जाता है। मुछों की रेख आई नहीं कि लड़का छेड़छाड़ संबंधी अध्ययन में उलझ जाता है और यह लट तब तक नहीं सुलझती, जब तक कि लड़के विशेष की शादी विशेष नहीं हो जाती। कुछ मामलों में यह शादी नामक घटना या दुर्घटना हवालात में भी संपन्न होती है। साबुन की किसमों की तरह छेड़छाड़ की भी कई किसमें होती है। जैसे बाजारू छेड़छाड़, घरेलू छेड़छाड़, दफ्तरी छेड़छाड़, फिल्मी छेड़छाड़