बात उन दोनों की है जब अनामिका शोध छात्रा थी,' अर्थात एम ए द्वितीय वर्ष की' और उन दिनों महाविद्यालय में द्वितीय वर्ष में लघु शोध करना होता था साथ ही किसी विद्यालय में ढाई तीन महीने पढाना होता था। अत: एक दिन वो समय भी आ गया जब सभी को शोध कार्य हेतु अलग अलग गट मेंं बांंट दिया गया। सभी छात्राएँ अपने अपने काम में लग गईं । एक दिन उनकी सुपरवाइजर ने कहा अनामिका तुम 10 से 15 दिन लगभग कक्षा दसवीं को पढाओगी। समय सारणी के अनुसार अनामिका दसवीं कक्षा में पढाने