पागल

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अभी कुछ ही देर हुई थी मुझे दुकान खोले कि बच्चों का शोर, सीटी और तालियां सुनाई देने लगी, दुकान से बाहर आकर देखा तो फिर वही रोज की कहानी, ये आजकल के बच्चे भी ना जरा भी भावनाये नहीं होतीं इनमे और बच्चे ही क्यों उनके साथ बड़े तो और भी ज्यादा l सब रोहित के पीछे भाग भाग के तरह तरह की बातें करते चले आ रहे थे, कुछ तो छोटी कंकड़ी चलाते कुछ एकदम से पीछे भागते और रुक जाते तो कुछ अजीब अजीब आवाज निकालते जिनसे रोहित परेशान होकर चिल्लाता और अजीब अजीब हरकतें करता और