दास्तान-ए-अश्क - 23

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मौत ही इंसान की दुश्मन नहीं ज़िंदगी भी जान लेकर जाएगी - 'जोश' मलासियानी ................... .... बहुत ही अजीब बात थी उसको धिन्न हो उठी थी पुरुष जात से..! एक कांच के जैसा होता है स्त्री का ह्रदय..! और हमेशा दिमाग से सोचने वाला पुरुष उसे ठेस पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ता..! उसके साथ भी वैसा ही हुआ था अपनी नाबालिक उम्र में दूसरे बच्चे के बारे में सोचना भी जानबूझकर जिंदगी को दाव पर लगाने जैसा था..! सब आदमी ही तय करता है ..! औरत को कब मां बनना है ? और कब नहीं..? नफरत थी उसे ऐसे