दोषी कौन

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कितना सुंदर और प्रिय था सब कुछ । हर दिन मानो नया संदेश लेकर आता । उमंग और उल्लास।भरा होता अहल्या के रोम रोम में । ऋषि पत्नी अहल्या अपने पतिदेव की सत्यनिष्ठा से सेवा करना ही अपना सबकुछ समझती थी । पति गौतम महाज्ञानी,तपस्वी और ऋषियों में श्रेष्ठ थे ।ऋषि- समाज उनकी विद्वता के आगे नतमस्तक था ,तभी तो उन्होंने सम्पूर्ण समाज के कल्याणार्थ महायज्ञ का आयोजन किया था और न केवल ऋषिगण, चक्रवर्ती राजागण तथा आचार्य आये। बल्कि देवों को भी उस महायज्ञ में आमंत्रित किया गया था और उस यज्ञ में स्वयं देवेन्द्र का भी पदार्पण हो