दो दिन कान्ता मौसी के घर रहकर गरिमा अपने पिता के घर वापिस लौट आयी । जब वह घर लौट कर आयी, आशुतोष उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। आशुतोष का कहना था कि उसकी माँ ने वह समय, जब गरिमा की परीक्षाएँ चल रही थी, अपनी बहू तथा पोते की याद मे तड़पते हुए व्यतीत किया था। इसलिए अब एक दिन भी व्यर्थ गँवाये बिना गरिमा को तुरन्त अपनी सास के घर पहुँच जाना चाहिए। आशुतोष के आग्रह से गरिमा अगले ही दिन ससुराल पहुँच गयी।