अब नहीं सहुंगि...भाग 4तब सामने से आवाज उभरी! "आप कल सुबह 9 बजे बस स्टॉप पे मिलो! आपकी जॉब का इंतजाम हो गया है! शैली को अब कुछ राहत मिली! लेकिन उसने जॉब की जरूरत के आगे ये भी जानने की कोशिश नहीं की के जॉब कहां ओर कैसी है..? अब आगे। भाग 4रात भार भूख के मारे करवट लेती शैली ओर गुनगुन को सुधा देख रही थीं !लेकिन करती भी तो क्या करती? रात तडपकर कटी !सुबह के 6 बजे शैली कि आंख खुली तो बोली !"मां