परावर्तन

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जज ने चोर को सजा सुनाई। चोर ने जज से कहा — साहब सजा मुझे नहीं मेरी मॉं को दो । मॉं ने बचपन में मुझे चोरी करने से रोका होता तो मैं चोर न बनता —— प्रेरक को यह कहानी सुजान ने सुनाई और सुमुख ने सुनाई। प्रेरक छोटा था। नहीं जानता था कहानी से प्रेरणा लेकर चरित्र बनाना चाहिये। सुजान और सुमुख बड़े थे। जानते थे ऐसी कहानियॉ चरित्र बनाने के लिये सुनाई जाती हैं कि बचपन में जेहन में बैठा दी गई बातें जीवन का निर्धारण और निष्कर्ष बनती हैं। उन्होंने कहानी सुना दी और प्रेरक को अपने तरीके से विकसित होने और समझ बनाने के लिये अकेला छोड़ दिया।