हिम स्पर्श - 84

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84 रात्रि व्यतीत हो गई। दुसरे दिवस भी प्रदर्शन चलता रहा। डॉक्टर गिब्सन तथा उसके साथी चित्रों का आनंद लेते रहे, सबसे मिलते रहे। डॉक्टर वफ़ाई के समीप जा बैठे। “डॉक्टर, एक बात मेरे ध्यान पर आई है।“ “कहो वफ़ाई, क्या बात है?” “आप यहाँ इतने सारे व्यक्तियों से मिले। सभी ने इन चित्रों के विषय में आपसे चर्चा की। किन्तु किसी ने भी आपसे जीत की शस्त्रक्रिया का उल्लेख तक नहीं किया। किसी ने अभिनंदन भी नहीं दिये।“ “वफ़ाई। यह सब लोग यहाँ चित्र देखने आए हैं। मुझे तो यह भी संदेह है कि वास्तव में सब चित्र