83 प्रतीक्षा समाप्त हुई। डॉक्टर गिब्सन शस्त्रक्रिया कक्ष से बाहर आए। सभी की अधीर आँखें डॉक्टर की तरफ घूमी, अनेक प्रश्नार्थ लेकर। वफ़ाई के मन में विचार चल रहे थे, वह स्वयं से बातें करने लगी। मैं कोई अधीरता नहीं दिखाउंगी। कोई उत्सुकता नहीं दिखाउंगी। मैं अपने वचन का पालन करूंगी। मुझे डॉक्टर की आँखों के संकेत को पढ़ना होगा। मैं उसकी आँखों में देखती हूँ। डॉक्टर की आँखें भावशून्य क्यों है? उसमें कोई संकेत क्यों नहीं है? अथवा कोई संकेत है भी तो मैं उसे क्यों पढ़ नहीं पाती? मुझे यह आँखें दुविधा में डाल रही है।