दहलीज़ के पार - 11

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‘पुरुषार्थी प्राणी की सहायता स्वय ईश्वर करता है' और ‘वह कभी किसी का पारिश्रमिक नही रखता है, देर—सबेर सबके परिश्रम का फल देता है' यह उक्ति गरिमा के ऊपर पूर्णतया चरितार्थ हो रही थी। उसने अपनी अधूरी शिक्षा को पुनः आरम्भ करने का निश्चय किया, तो सभी रास्ते स्वतः खुलते चले गये। प्रभा ने अपने वादे के अनुसार अगले दिन ही पुस्तके लाकर दे दी थी और आने वाले शनिवार को जब आशुतोष घर लौटकर आया, तब वह भी बी. ए. प्रथम वर्ष के पाठ्‌यक्रमानुसार पर्याप्त अध्ययन सामग्री ले आया।