नंदलाल यादव दिल्ली में नौकरी करते हैं और साहिबाबाद में किराए के एक फ्लैट में रहते हैं। लोकल ट्रेन से आना-जाना करते हैं। आई.टी.ओ. पर उतर कर बस से आर.के.पुरम जाते हैं।सुबह शाम सप्ताह में पूरे पाँच दिन उनकी यही दिनचर्या रहती है। किसी दिन छुट्टी हो गई तो उस दिन बल्ले-बल्ले। नंदलाल शायरी पढ़ने के शौकीन हैं और जब तब किसी पसंदीदा शे’र को गुनगुनाते रहते हैं। जो शे’र उनके मनोभावों को जम जाए या जिसका निहितार्थ उनकी ज़िंदगी पर फिट हो जाए, वह उनका पसंददा शे’र बन जाया करता था।