हिम स्पर्श - 82

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82 “वफ़ाई।“ किसी ने वफ़ाई को पुकारा। विचारों से जागृत होकर वफ़ाई ने उस ध्वनि की दिशा में द्रष्टि की। “तुम? बशीर तुम यहाँ?” वफ़ाई उठ खड़ी हो गई और बशीर की तरफ जाने लगी। अचानक ही उसके चरण रुक गए। वह वहीं रुक गई। “बशीर, यहाँ क्यों आए हो?” “वफ़ाई, तुमसे मिलने आया हूँ मैं।“ “क्यों? क्या कुछ भी बचा है अब?” “वफ़ाई...।“ “बशीर, तुम यहाँ से चले जाओ।“ “मेरी बात तो सुन लो।“ “तुम चले जाओ यहाँ से।“ “वफ़ाई। मेरी बात तो...।” “कुछ नहीं सुनना मुझे। तुम बस यहाँ से चले जाओ।“ बशीर चला गया। वफ़ाई आक्रंद