१८५७ क्रांति का आर्टिकल यूरोप के १६ ओर ब्रिटेन के ४ प्रमुख न्यूजपेपर में छपा...तब वहां के बुदधिजीवियों ने कहा अगर १८५७ का यही सच है तो ब्रिटेन को अपना मुंह काला कर लेना चाहिए...इसके बाद अंग्रेज़ समझ गए अगर इस युवक ने भारत के नवयुवको की चेतना जगा दी...ओर इसकी असर बाकी देशों पर समाचार पत्र द्वारा हुई तो हमारा भारत ही नहीं ओर भी देशों में प्रतिकार होगा...सन १९०७.. जर्मनी में हुई अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस में मैडम भीकाजी कामा द्वारा भारत का प्रथम राष्ट्र ध्वज लहराया गया..जो वीर विनायक दामोदर