इस कस्बेनुमा गांव में प्रधान जी का बोलबाला था। वे ही यहां के सर्वेसर्वा थे। आने वाला हर अफसर उनकी चौखट पर हाजरी देता था। मगर सामन्तशाही के विदा होने के साथ साथ प्रधान जी का रोबदाब कम होता जा रहा था। वे इस बात से परेशान थे। इधर नया विकास अधिकारी भी उन्हें कुछ नहीं समझता था। प्रधान जी का मकान कस्बे के बीचोंबीच था। वे जिले के मुख्यालय से छपने वाले स्थानीय पत्र को पढ़ रहे थे। पत्र में विद्यालय में पर्यावरण का्रर्यक्रम तथा वृक्षारोपण का समाचार विस्तार से छपा था। वे इस समाचार से नाराज थे। मगर कुछ कर नहीं पा रहे थे।इसी समय विद्यालय के प्राचार्य महोदय आये। और अभिवादन कर बोले।