रामकेश एक अनपढ़, रूढ़िवादी था वह तीन सदस्यीय परिवार का भरण पोषण मजदूरी से करता था।उसके कोई संतान नहीं थी, लेकिन वह और उसकी मां बेटी को संतान के रूप में नहीं चाहतीं थी।बेटे की कामना ने बेटा और माँ को अन्धा बना दिया था।बेटे के लिए वो ओझा, हकीमों और कई चमत्कारी मंदिरों के चक्कर लगा आए थे।उसकी पत्नी रामा गर्ववती थी।उसी रात...रामा के अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई ।रामकेश की माँ ने तुरंत रामकेश को जगा दिया।"बेटा उठ! तेरी बहू के दर्द हो रहे हैं, तू बाप बनने वाला है।"रामा की सास दौड़कर रामा के पास पहुच