पढ़ने का धैर्य

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कौशलेंद्र प्रपन्न शायद दुनिया में यदि कोई कठिन और श्रमसाध्य कार्य है तो वह पढ़ना ही है। कोई भी पढ़ना नहीं चाहता। हर कोई पढ़ाना चाहता है। हर कोई लिखना चाहता है। और हर कोई कहना भरपूर चाहता है लेकिन पढ़ना नहीं चाहता। वह चाहे किसी भी पेशे में क्यों न हो। उस पर यदि कोई शिक्षण पेशे से आता है तो उसे भी इस बात की ज्यादा होती है कि वह बच्चों को पढ़ाना सीखा दे। बच्चे लिखना शुरू करें। शिक्षकों की बड़ी गंभीर चिंता यह होती है कि उसके बच्चे लिखना और पढ़ना नहीं जानते और न