अंजामे मुहाब्बत

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         ठंडी हवा के झोंके पेड़ो को झूमने पर मजबूर कर रहे थे।शाम  का धुंदलका छा रहा था। हर चीज सुर्खी लिए हुए महसूस हो रही थी।सूरज नीले आसमान पर अपनी मंजिल तय करता हुआ चारों तरफ सुर्खी बिखेर कर गायब होने के लिए तैयार था।परिंदे आशियानो की तरफ लौट रहे थे।चारों तरफ लगे बेशुमार ऊंचे ऊंचे पेड़ो लाखो परिंदो को पनाह दिए हुए थे।चिडियो कीचूं अब जोर पकड़ती जा रही थी।                         वो सहन में खड़ी इस मंजर को बहुत दिलचस्पी से देख रही थी। अंधेरा