जिस दिन सांस्कृतिक संध्या का आयोजन था, सुबह से ही गहमागहमी शुरू हो चुकी थी। टीसीएस अपनी आदत के मुताबिक ऑफिस में इधर-उधर घूमता फिर रहा था। राकेश भी अपने कार्यालयी कार्यों के साथ नीचे की जा रही तैयारी का मॉनीटर कर रहा था। दोनों दो दिशाओं में व्यस्त थे। मामूली से दुआ सलाम के बाद दोनों अपने-अपने काम में व्यस्त थे। राकेश ने दो दिन पहले ही बैनर वाले वेंडर चंदर कश्यप को अपनी सीट पर बुलाकर बैनर बनाने से लेकर माला, चंदन, कपूर, पोस्टर आदि कई सामग्री लाने के कुछ छोटे-मोटे काम दे दिए थे।