हिम स्पर्श - 78

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78 “आप? आप यहाँ कैसे?”वफ़ाई ने विस्मय प्रकट किया। वफ़ाई के शब्दों में आनंद भी था और विश्वास भी। वह उस स्त्री की तरफ दौड़ी। “वफ़ाई आओ। आप सभी का मेरे आँगन में स्वागत है।“ उसने प्रसन्न स्मित से सब का स्वागत किया। “किन्तु यह जीत? इसकी यह स्थिति?” वफ़ाई उद्विग्न थी, चिंतित भी। “वफ़ाई, तुम निश्चिंत रहो। जीत को कुछ नहीं होगा।“ वह आगे बढ़ी। उसने आदेश दिया,“जीत को आप अपनी गोदी में सुला दो।“ विक्टर ने याना और वफ़ाई की गोदी में जीत को सुला दिया। “आप दोनों इसे जीत के हाथ और पाँव पर घिसो। और