राकेश हल्का सा मुस्कुराता हुआ चुप ही रहा। वह कुछ संकोच में भी आ रहा था। चरणजीत ने बिकास की बात को पूरी शिद्दत से आगे बढ़ाते हुए और पहले राकेश एवं बाद में बिकास चटर्जी की ओर देखते हुए कहा, आप बिल्कुल दुरुस्त कह रहे हैं दादा। सोलह आना सच। एकदम किसी खरे सोने के माफ़िक।