नैहर आँचल समाय...

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नैहर आँचल समाय पूरे पांच साल बाद आ रही थी प्रांजल अपने मायके. लेकिन यह पांच साल उसे युगों जितने लम्बे लग रहे थे. तभी अमेरिका से जब वह दिल्ली आई तो दोनों बच्चों को सास के पास ही छोड़ आई की कुछ दिन तो चैन से मायके में बैठकर पुरानी यादों की जुगाली कर ले फिर बच्चों को भी भोपाल बुला लेगी. हवाई जहाज से भी वह आँखे गडाए शहर को देखती रही. उसका बस चलता तो पेराशूट से ही कूद पडती. जन्मस्थान का आकर्षण भी कितना प्रबल होता है तभी तो जन्मभूमि के लिए लोग