सात जन्म का साथी

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"अरे ज्योति तू ? " वर्षों बाद अपनी ससुराल की एकमात्र प्यारी सखी , और मोहल्ले की मुंहबोली ननद को, मॉल में देख कर मैं खुशी से चीख उठी "हां भाभी मैं ! मुस्कुराती हुई बोली ..थोड़ा बदन भर आया था और चेहरे पर उम्र दिख रही थी ..पर शरीर अभी भी वही छरहरा , चर्बी का नामोनिशान नही ..! ''कैसी है तू ? और कहां है आज कल ? भूल गयी न मुझे .." तूने तो एकदम रिश्ता ही तोड़ लिया हमसे ..? रिश्ता नही तोड़ा भाभी ..न ही आपको भूल सकती हूं .बस कॉन्टेक्ट नम्बर खो गया था