मनचाहा - 3

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(आगे की कहानी जानने के लिए मनचाहा और मनचाहा 2 पढ़ें) बसस्टेंड पहुंच कर दिशा से हायहल्लो किया उतने में बस आ गईं। ईधर उधर की बातें करते करते मेरा ध्यान खिड़की से बाहर गया तो मैंने वहीं लड़की को कल वालीं हीं कार में जातें हुएं देखा। १५ मीनट बाद हम कोलेज पहुंच गए। कोलेज लाइफ का एक अपना हीं मजा है सब कितना फ्री लगता है,कोई भी कपड़े पहने, किसी से भी बात करें। - यहां पर तो हम एकदम ढिंचाक स्टाइल में रह सकते हैं क्यो दिशा? - हा यार! बोरींग स्कूल ड्रेस से छुटकारा तों मिला।