राकेश सोचने लगा। अच्छे फँसे। आज लगता है जैसे केबिन-केबिन का म्यूजिकल चेयर खेल रहा हूँ। कभी बिग बॉस के केबिन में जा रहा हूँ तो कभी एच.आर. हेड की केबिन में। लगता है कि आज का दिन इसी दौड़-धूप में बीत जाएगा। और फिर चाहे कितनी ही देर हो, अपनी सीट का काम तो ख़ैर पूरा करना ही है। मरता क्या न करता, वह हरिकिशन के केबिन में गया।