51) जब हमारा जन्म होता है, तब हमारे बाल सफेद नहीं होते हैं और न ही हमारा शरीर पाँच या छह फुट लम्बा होता है। शरीर के ढांचे की तरह इस दुनिया की प्रत्येक वस्तु परिवर्तन के आधीन है। जो बदलती नहीं है, वह सत्य नहीं है, स्पष्ट नहीं है। कई व्यक्तियों को अलग-अलग स्थितियों के साथ स्वयं का तालमेल बैठाने में तकलीफ होती है। रोज रात्रि में जिस बिस्तर पर लेटकर सो जाते हैं, सुबह वह बिस्तर और वह जगह न मिले तो तब कई लोगों की नींद हराम हो जाती है। यह लेखक ऐसे कई लोगों को जानता