ख़्वाबगाह - 6

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मेरी शादी के एक बरस बाद की बात है। एक दिन सुबह सुबह ही विनय का मैसेज आया था - आज चार बजे कनॉट प्लेस में मिलो। उसके संदेश हमेशा इतने ही शब्दों के होते कि बात पहुंच जाए। हम एक दिन पहले ही मिले थे और हमने लंच भी एक साथ लिया था और काफी सारा समय एक साथ गुज़ारा था। अगले दिन मिलने की कोई बात तय नहीं थी इसलिए मैंने दूसरे कुछ ऐसे काम तय कर लिये थे जो विनय से ही मुलाकातों के चक्कर में कब से टल रहे थे। विनय से मिलने जाने का मतलब सारे काम किसी अगली तारीख के लिए कैंसिल करना। मैंने कम से कम चार काम उस दिन के लिए तय कर रखे थे। दुविधा में थी कि क्या करूं।