ऐमिलियो डोरा को मैं आज भी अपनी पत्नी ही मानता हूं। वह आज भी मेरे हृदय के इतने करीब है, मुझमें इतना समायी हुई है कि मैं उसकी महक को महसूस करता हूं। मुझे अब भी ऐसा लगता है कि जैसे वह मेरे सामने मेरे एकदम करीब मुझे स्पर्श करते हुए खड़ी है। मेरे गले में अपनी दोनों बांहों को डाले चेहरे को एकटक देखते हुए।