साल 1999 की बात है दीपक एक बेरोजगार युवक था जिसके पास न तो बहुत पैसे थे और न ही उसने कभी मन लगाके पढ़ाई की थी जो उसके पास अच्छी नौकरी मिल सके। दीपक कम पढ़ा लिखा जरूर था परंतु वह समझदार स्वाभिमानी ओर मेहनती था। दीपक के पिताजी को पता था कि दीपक की नौकरी किसी अच्छी जगह शायद ना लग पाए इसलिए उन्होंने अपने घर के नीचे पड़ी दुकान की बढ़िया मरम्मत कराई और वहाँ पर दीपक के लिए एक अच्छी मिठाई और फ़ास्ट फूड की दुकान खुलवा दी। दीपक नई दुकान में बहुत खुश था क्योंकि