दे दे प्यार दे - फिल्म रिव्यू

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कुछ फिल्में एसी होतीं हैं जिनको ‘ग्रेट’, ‘क्लासिक’ जैसे विशेषणो से नवाजा जा सकता है. जैसे की ‘दंगल’. और कुछ फिल्में एसी होती है जिनको ‘सुपरफ्लोप’, ‘हथोडा’ कहा जा सकता है. जैसे की ‘कलंक’. और फिर कुछ फिल्में एसी होती है जो ईन दो प्रकार की फिल्मों के बीच रखी जा सके. एसी फिल्में चुपके से रिलिज होतीं हैं, उनमें ज्यादा तामझाम, ज्यादा दिखावा नहीं होता, लेकिन फाइनल रिजल्ट इतना अच्छा होता है की एसी फिल्में दिल में बस जाती है. जैसे की ‘लुकाछुपी’. ‘दे दे प्यार दे’ एसी ही एक दिल में बस जानेवाली प्यारी सी, स्वीट सी फिल्म