कांट्रैक्टर - 1

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सब अपने-अपने हिसाब से नौकरी करने आए थे। सब अपने-अपने हिसाब से नौकरी किए जा रहे थे। अगर देखा जाए तो आख़िरकार कोई ऑफिस भला क्या होता है! राजनीति और कार्यनीति का अखाड़ा ही तो। एन.आई.सी.एल. भी कुछ वैसा ही ऑफिस था। बड़े पदों वाले बॉस आते-जाते रहते थे मगर कुछ स्थानीय लोग छोटे और मंझोले पदों पर वहीं जमा रहा करते थे। बॉस को भी आने से पहले हर बात की पूरी जानकारी रहा करती थी।