चिड़िया रानी - (बाल साहित्य)

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प्रिय मित्रों,               आज छत के बारजे पर बैठकर आसमान में टकटकी लगाए कुछ देख रहा था कि पंक्षियों का एक समूह छत के दूसरे किनारे पर बैठा, जहां कुछ दाने पड़े थे खाने लगा। क्या करें दिल तो बच्चा है जी, और खो गया बचपन की उन यादों में...                 १-"चिड़िया रानी" चिड़िया रानी, चिड़िया रानी, लगती हो तुम बड़ी सयानी, फुदक फुदक कर दाना चुगती, और पीती हो थोड़ा पानी।। द्वार मेरे तुम नितदिन आती, सबके मन को भाती हो, दाना दाना चुग चुग कर,