अभी शाम के तीन बजे थे।मै अपने कुछ मित्रो के साथ अपनी गली मे खडा था।सामने से एक लडकी आती है।उसके एक हाथ मे कुछ कागज ओर कानंधे पर भारी सा वस्ता सावला सा रंग आँखे बडी बडी नशीली छरछरा बदन उसकी निगाहे मेरी तरफ थी जोकी मुझे चुपके से घूर रही थी मेरे पास से गुजरी हालाकी मेरी गली की थी।तभी मेरे कन्धे पर मेरे एक मित्र ने हाथ रखा और कहा भाई आप तो छुपे रूसतम निकले हम सबसे भी छुपाया पागल है तू तभी आवाज लगती है देव कहाँ हो ऊपर आना ये मेरी दादी थी ।मै