घर के सभी दरवाजे और लाइट बंद थे l पूरे कमरे में अंधेरा था, आकर्ष कमरे के एक कोने मे बैठा था उसका शरीर डर से पीला पड़ गया था, भरी सर्दी में भी उसके माथे से पसीना बह कर उसके अंदर बसे खौफ को जाहिर कर रहा था l आकर्ष अपने कानों में हाथ लगाए जोर जोर से चीख रहा था, "चुप करो, चुप करो, भाग जाओ यहाँ से, चुप करो " l उसकी आंखों के आगे बार-बार वही खौफनाक मंजर घूम रहा था तभी दरवाजा टूटने की आवाज आई और कुछ पुलिस वाले आकर उसको पकड़ने लगे और